जब हम और आप भी कहेंगे- ‘डोंट अंडरइस्टीमेट द पॉवर ऑफ ए कॉमन मैन’
India Emotions. लखनऊ। ‘’Don’t underestimate the power of a common man’’ (एक आम नागरिक की ताकत को कम न आंकना)। यह डायलॉग भले फिल्मी हो लेकिन, आने वाले समय में बड़े से बड़े संकट में भी हमारे बीच से तमाम यही कहते हुए मिल जाएंगे। भविष्य में आतंकी हमले या भूकम्प, बाढ़, और चक्रवाती तूफान जैसी आपदाओं के वक्त अचानक अगर हम आम लोंगों के बीच से निकल कर कुछ लोग बकायदा मिलिट्री (सेना) सरीखे जवानों की भूमिका में संकटमोचन बन जाएं तो आश्चर्य न होगा। दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां आम नागरिकों की मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य है। इसका उ्देश्य यही है कि आकस्मिक संकट आने पर सैन्य फोर्स के पहुंचने से पहले यही ‘आर्मी-ट्रेंड कॉमन-मैन’ स्थिति को संभाले रख सकें। उदाहरण के तौर पर इज़रायल, ब्राज़ील, दक्षिण कोरिया, तुर्की, रूस, सीरिया, स्विट्जरलैंड और इरीट्रिया जैसे देशों में आम नागरिकों की मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य है। भारत सरकार भी लंबे वक्त से ऐसी ही मंशा रखती है। इसी मंशा को साकार करने के प्रयास के रूप में देशभर में सौ और अपने यूपी के सभी मंडलों में सैनिक स्कूल खोले जाने की कवायद को देखा जा सकता है। असल में, सेना में जाने के सपने बुनने वाले बेटे- बेटियों के पंखों को देश की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार नई उड़ान देने जा रही है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से पूरे देश में 31 सैनिक स्कूल संचालित किए जाते हैं। इनमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल के चलते दूसरे राज्यों की अपेक्षा यूपी में सैनिक स्कूलों की संख्या ज्यादा है। यूपी में तीन सैनिक स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। फिलवक्त यूपी में अमेठी, झांसी, मैनपुरी में सैनिक स्कूल संचालित हो रहे है जबकि बागपत में सैनिक स्कूल का निर्माण प्रस्तावित है। यहां पर छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मुहैया कराई जा रही है। गौरतलब है कि, पिछले दिनो आम बजट के दौरान निर्मला सीतारमण ने देश भर में 100 सैनिक स्कूल बनाए जाने की प्रस्ताव रखा था। इसके बाद सीएम योगी ने हर मंडल में एक सैनिक स्कूल स्थपित किए जाने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा है। जानकारों की मानें तो सैनिक स्कूल में दाखिले के बाद छात्र कम फीस में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा हासिल करते हैं। ऐसे में योगी सरकार के प्रस्ताव से उन अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी जो अधिक फीस होने के चलते अपने नौनिहालों को अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ा पाते हैं।
उत्तर प्रदेश में 18 मंडल है और यहां 3 सैनिक स्कूल पहले से संचालित हैं। पिछले दिनों सीएम ने यहां हर मंडल स्तर पर एक सैनिक स्कूल बनाए जाने की व्यवस्था यूपी के आम बजट में कर दी है। इसके लिए धन और जमीन की व्यवस्था सरकार करेगी। यह सभी स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त होंगे। गोरखपुर में भी एक सैनिक स्कूल खाद कारखाने के पास 50 एकड़ में बनाया जाएगा। के निर्माण की मंजूरी मुख्यमंत्री ने दी है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट अभिभाषण के दौरान 90 करोड़ रुपये का बजट गोरखपुर सैनिक स्कूल के लिए पास किया है। इसके अलावा कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय सैनिक स्कूल सरोजनीनगर में एक हजार लोगों की क्षमता वाले आडिटोरियम का निर्माण कराया जाएगा। इसके 15 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय सैनिक स्कूल की क्षमता को दोगुना करने की तैयारी है। यूपी के बजट में सैनिक स्कूल सरोजनीनगर को विकसित किए जाने व उसकी क्षमता को दोगुना करने का प्रस्ताव पास किया गया है। खासकर बेटियों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार बालिका कैडेट के लिए 150 की क्षमता वाले छात्रावास का निर्माण कराएगा।
मालूम हो कि, यूपी के सैनिक स्कूलों में छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा बहुत कम फीस में मुहैया कराई जा रही है। लखनऊ में यूपी सैनिक स्कूल का संचालन किया जाता है, जो राज्य सरकार के अधीन है । यह देश का पहला सैनिक स्कूल है। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने देश भर में सैनिक स्कूलों का निर्माण कराया। ऐसे में योगी सरकार के प्रस्ताव से उन अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी जो अधिक फीस होने के चलते अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ा पाते हैं। सैनिक स्कूलों की संख्या बढ़ने से ऐसे अभिभावकों के बच्चे बेहतर शिक्षा हासिल कर सकेंगे। स्कूल के लिए पहले 199 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई थी जिसमें अब संशोधन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिले में सैनिक स्कूल की स्थापना का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए डीपीआर तैयार करने का काम अंतिम चरण में है। बीती 30 जनवरी को मुख्यमंत्री ने लखनऊ में स्कूल का पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देखा है। इस दौरान उन्होंने ले-आउट में थोड़ा परिवर्तन करने के साथ ही, जल्द डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा था कि स्कूल का परिसर ऐसा हो, जिससे युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत हो।
सैनिक स्कूल होता क्या है-
सैनिक स्कूल देशभर में ज्यादातर रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित किये जाते हैं। इसके अंदर आने वाले दिनों के लिए सभी भारतीय सेनाओं के लिए सैनिक या अफसर तैयार होते है जो आगे चलकर किसी भी भारतीय सेना में अपना योगदान देते है। सैनिक स्कूल का एक मकसद रक्षा अकादमियों के लिए बेतरीन सैनिक तैयार करना होता है। सैनिक सोसाइटी द्वारा हर साल एक परीक्षा का आयोजन किया आता है, जिसमें छठी से नौवीं तक के बच्चे ही दाखिला पा सकते हैं। भारत में फिलहाल 33 ऐसी सैनिक अकादमी है जो NDA और INA के लिए काम करती है। सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए सैनिक स्कूल सोसाइटी हर साल जनवरी में इस परीक्षा का आयोजन करती है। इनका दूसरा उद्देश्य समाज में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बच्चों को देश के सशस्त्र बलों और दूसरे प्रसिद्ध सैन्य सेवाओं के लिए अधिकारी के रूप में शानदार करियर बनाने में छात्रों को सक्षम बनाना है।
अब लड़कियां भी ले सकती है दाखिला
साल 2018 तक सैनिक स्कूलों में केवल लड़के ही दाखिला पा सकते थे, लेकिन 2019 में लड़कियों के लिए भी प्रवेश परीक्षा ली गई थी, लेकिन तब लड़कियां भी दाखिला ले सकती है।